Thursday, January 6, 2011

एक अदना सा शख्स

धुली धुली सी चांदनी में, बैठा है चुप सा कोई
हवा छू के गुज़र जाती है, है अन्जान सा कोई
मन की उलझनो में उलझा हुआ सा कोई
एहसास ज़िन्दगी का बैठा है दबा हुआ सा कहीं
सोचता है बैठ के दिल के कोने में
शायद उसे भी कभी आवाज़ देगा कोई ।

सोचता है क्या ख़ता की, सोचता है क्या दुआ की
कि मिले हवा और चांदनी सुनने को उसकी कहानी
सुनते हैं, सुन के चल देते हैं
एक अन्जान सवाल के पीछे भागते हुए
एक अदने से शख्स की कहानी ।

6 comments:

  1. Tu itni creative hai!! Mast tha!!

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  2. Waah waah...awesome !

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  3. Anindita BhattacharyaJanuary 9, 2011 at 7:37 PM

    wow!! tandy..I have read it before..in PGW.. but loved reading it again..keep writing dude!!..u express urself really well..:)

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  4. Creativity on its peak.... Productive velapan

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